मूर्तिकला और प्रमुख स्तूप - PRAKASH GK
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मूर्तिकला और प्रमुख स्तूप

                           
                                            मूर्तिकला

                                            प्रमुख स्कूल

➤ गांधार कला
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* इस कला का उदय कनिष्क के समय पहली शताब्दी में हुआ।
* इस कला शैली की मुर्तिया पाकिस्तान एंव तक्षशिला तथा अफगानिस्तान से प्राप्त हुआ।
* इस कला शैली में बुद्ध की मूर्तियों तथा उनके जीवन से संबंधित मूर्तियों का निर्माण किया गया है। इसमें बुद्ध की वस्त्रयुक्त, घुंघराले बाल,मूंछ,वस्त्र सलवटे वाली मूर्तियाँ मिलती है।
* इस शैली को आदर्शवादी शैली के रूप में भी जाना जाता है। इसे भारत-यूनानी या भारत -रोमन कला भी कहा कहा जाता है।
* इसमें बुद्ध की भव्य मूर्तियों के निर्माण में भारतीय कला पर यूनानी एंव हेलिनिस्टिक कला का प्रभाव है।

➤ मथुरा शैली
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* इस शैली में लाल पत्थर से मूर्तियों का निर्माण हुआ है एंव बुद्ध की मानव रूप में मूर्ति बनाई गई।
* इस शैली की प्रमुख विशेषता बुद्ध और बोधिसत्वों की मूर्तियों का निर्माण है।
* इस शैली में बौद्ध,जैन,हिन्दू तीनो धर्मो से संबंधित मूर्तियों का निर्माण हुआ है।
* इस कला के प्रमुख केंद्र मधुरा,तक्षशिला,अहिच्छत्र,श्रावस्ती,वाराणसी,कौशाम्बी थे।
* इस शैली अंतर्गत बुद्ध की धर्मचक्रपरवर्तन मुद्रा, अभय मुद्रा,मुद्रा,भू-स्पर्श, बुद्ध की वस्त्ररहित,बलविहीन,मूंछविहीन अलंकरणविहीन तथा प्रभामंडल युक्त आदि मूर्तियों का निर्माण हुआ है।

➤ अमरावती शैली
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* इस शैली का विकास दक्षिण भारत में कृष्णा नदी की घाटी में अमरावती में विकसित हुई थी।
* इस शैली का विकास सातवाहनों के काल में हुआ था।
* इस शैली में अमरावती और नागार्जुन कोंडा के स्तूप बनाए गए।
* इस शैली में पौधो,फलो,कमल तथा मूर्तियों में जीवन दृश्यों का अंकन किया गया है।


                                       प्रमुख स्तूप

➤ सारनाथ स्तूप
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* सम्राट अशोक ने इस स्तूप का निर्माण 249 ईसा पूर्व  में सारनाथ में करवाया था।
* महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश यहीं दिया था।
➤ धमेक स्तूप
 * यह स्तूप सारनाथ में है।
* यह पत्थर और आंशिक रूप से ईंटो की बनी हुई है यह बेलनाकार संरचना है।
* यह भगवान बुद्ध के द्वारा अपने पांच शिष्यों के पहले धर्मोपदेश की पुण्यस्मृति में बनाया गया था।
* इस स्तूप की नींव अशोक के समय में रखी गई थी इसका विस्तार कुषाण काल में हुआ गुप्त काल में यह पूर्णत: तैयार हुआ।

➤ अमरावती स्तूप
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* अमरावती स्तूप को महाचैत्य के रूप में भी जाना जाता है।
* इसका निर्माण सम्राट अशोक के द्वारा किया गया था।
* स्तूप पर की गई नक्काशियां,बुद्ध और उनकी शिक्षाओं एंव जीवन की कहानी का चित्रण करती है।
➤ साँची स्तूप
* यह मध्य प्रदेश के भोपाल में स्थित है।
* इसका निर्माण अशोक के द्वारा किया गया था।
* स्तूप इस की खोज 1818 में हुआ था।
* साँची में स्तूप संख्या - 1 या महान स्तूप सबसे महत्वपूर्ण  स्मारक है। इसमें ब्राह्मी लिपि के शिलालेख है।
* यह स्तूप बुद्ध के 'महापरिनिर्वाण' का प्रतीक है , जिसे वर्ष 1989 में यूनेस्को द्वारा 'विश्व विरासत' का दर्जा प्रदान किया गया।

➤ भरहुत स्तूप
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* भरहुत स्तूप मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में स्थित है।
* यह स्तूप शुंगकालीन स्तूप है ,
* इस स्तूप में चार तोरण द्वार थे। इन पर जातक कथाओ का उल्लेख किया गया था।
* कनिंघम ने सर्वप्रथम 1873 ई० में इस स्थल का पता लगाया था।
                               
                                        चैत्य

* चैत्य का शाब्दिक अर्थ चिता है । अर्थात चैत्य वे स्मारक थे जहां महापुरुषों की अस्थियाँ राख गाड़कर रखे जाते थे।
* चैत्यगृह दो प्रकार के होते है - (1) गुहा चैत्य (2) संरचनात्मक चैत्य
* चैत्य हीनयान तथा महायान से संबंधित है।

  प्रमुख चैत्य
➤ कार्ले चैत्य
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* महाराष्ट्र में लोनावला

➤ नासिक चैत्यगृह
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* सातवाहन कालीन
* महाराष्ट्र के नासिक में 200 ई० पू ० की पाण्डुलेण नामक बौद्ध गुफाओ का एक समूह है , जिसमे 16 विहार और एक चैत्यगृह है।
➤ भाजा  चैत्यगृह
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* 200 ई० पू० निर्मित यह महाराष्ट्र के लोनावाला के पास पुणे जिले में है।
➤ पीतलखोर चैत्यगृह
* यह महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है।
➤ वेदसा  चैत्यगृह
* यह कार्ले चैत्यगृह के दक्षिण में स्थित है।
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